सबसे पहले तो सभी देशवासियों को बहुत बहुत बधाई, आखिरकार हम भी चाँद पर अपने देश का झंडा फहराने की कूबत रखने वाले देशों की जमात में शामिल हो ही गए। वैसे अभी कुछ समय लगेगा हमारा तिरंगा चंदा मामा तक पहुँचने में पर एक अच्छी और सफल शुरुआत के बाद हम सब कुछ अच्छा होने की ही आशा कर सकते हैं...

आज जब भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन [इसरो] द्वारा विकसित राकेट पीएसएलवी सी 11 सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से सुबह छह बजकर 22 मिनट पर रवाना हुआ और इसी रवानगी के साथ एक नए दौर की शुरुआत भी हुई। किसी भी भारतीय के लिए चाँद कभी भी सिर्फ़ पृथ्वी का एक मात्र उपग्रह नही रहा है। हमने जब से होश संभाला हमेशा चाँद को अपने बहुत करीब पाया। भारत में चाँद को मामा कहा गया। बच्चों को उनकी माओं ने हमेशा से ये लोरी सुना के सुलाया - चंदा मामा दूर के॥ चाहे वो ईद का चाँद हो या पूर्णिमा का, हमेशा हमने उसे हँसता हुआ मुस्कुराता हुआ पाया। अमावस्या को जब मामा जी नही आए तो सबने एक दूसरे से जरूर पूछा की क्या आज अमावस्या है? और आज हमारा अपना यान भारत के करोड़ों लोगों की शुभकामनाओं के साथ लाखों बच्चों के मामा के पास जा रहा है...
आइये अपनी शुभकामनाएं प्रेषित करें उन चुनिन्दा वैज्ञानिकों को जिनके अथक प्रयास से ये उपलब्धि सम्भव हो पाई है..
9 comments:
Satya Vachan Bandhu...
Ek mahaan uplabdhi .. aao milke iske safal hone ki kaamna ke saath - Rajaneesh
aapko bhi bhadhayi ho bhaiya,ye hamare desh ki mahan uplabdhi hai........
waah, sheershak bahut hi achcha dia hai.. likhte rahen.
badhai.
gud piece of work.
its a achievement for every Indian
Proud to be an Indian
gud work keep it up.
chanda mama paas ke. hamko kab jaane milega mama ke paas? :(
chanda mama paas ke. hamko kab jaane milega mama ke paas? :(
bahut achcha likha hai akhil bhaia...
Akhil, bohot hee achha likhte ho ! Badhaee ho !
Har baar jab tumhare blogpe aatee hun to tumhara," apne baareme" zaroor padh letee hun....aur sheeshak panktiyan bhee...bohot achha lagta hai ! Is se adhik kya kahun?
Aajke din sabheeko badhaee ho !
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