बस एक इसी की कमी रह गई थी॥
हमारे राज ठाकरे साहब ने जो अपने गोबर और कचरा भरे दिमाग से देश की जनता के साथ जो मज़ाक किया हुआ है उस पर आधारित एक कार्टून अभी अभी मेल पर मुझे प्राप्त हुआ॥ आप भी एक नजर डालिए॥ और प्रार्थना करिए अपने अपने इष्ट देव से की ऐसे बेवकूफों को कुछ सद्बुद्धि दें ।
Thursday, October 23, 2008
Tuesday, October 21, 2008
अब चंदा मामा पास के, हम पुए पकाएं आस के...
और हमने ये कर दिखाया।
आज जब भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन [इसरो] द्वारा विकसित राकेट पीएसएलवी सी 11 सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से सुबह छह बजकर 22 मिनट पर रवाना हुआ और इसी रवानगी के साथ एक नए दौर की शुरुआत भी हुई। किसी भी भारतीय के लिए चाँद कभी भी सिर्फ़ पृथ्वी का एक मात्र उपग्रह नही रहा है। हमने जब से होश संभाला हमेशा चाँद को अपने बहुत करीब पाया। भारत में चाँद को मामा कहा गया। बच्चों को उनकी माओं ने हमेशा से ये लोरी सुना के सुलाया - चंदा मामा दूर के॥ चाहे वो ईद का चाँद हो या पूर्णिमा का, हमेशा हमने उसे हँसता हुआ मुस्कुराता हुआ पाया। अमावस्या को जब मामा जी नही आए तो सबने एक दूसरे से जरूर पूछा की क्या आज अमावस्या है? और आज हमारा अपना यान भारत के करोड़ों लोगों की शुभकामनाओं के साथ लाखों बच्चों के मामा के पास जा रहा है...
आइये अपनी शुभकामनाएं प्रेषित करें उन चुनिन्दा वैज्ञानिकों को जिनके अथक प्रयास से ये उपलब्धि सम्भव हो पाई है..
सबसे पहले तो सभी देशवासियों को बहुत बहुत बधाई, आखिरकार हम भी चाँद पर अपने देश का झंडा फहराने की कूबत रखने वाले देशों की जमात में शामिल हो ही गए। वैसे अभी कुछ समय लगेगा हमारा तिरंगा चंदा मामा तक पहुँचने में पर एक अच्छी और सफल शुरुआत के बाद हम सब कुछ अच्छा होने की ही आशा कर सकते हैं...
आज जब भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन [इसरो] द्वारा विकसित राकेट पीएसएलवी सी 11 सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से सुबह छह बजकर 22 मिनट पर रवाना हुआ और इसी रवानगी के साथ एक नए दौर की शुरुआत भी हुई। किसी भी भारतीय के लिए चाँद कभी भी सिर्फ़ पृथ्वी का एक मात्र उपग्रह नही रहा है। हमने जब से होश संभाला हमेशा चाँद को अपने बहुत करीब पाया। भारत में चाँद को मामा कहा गया। बच्चों को उनकी माओं ने हमेशा से ये लोरी सुना के सुलाया - चंदा मामा दूर के॥ चाहे वो ईद का चाँद हो या पूर्णिमा का, हमेशा हमने उसे हँसता हुआ मुस्कुराता हुआ पाया। अमावस्या को जब मामा जी नही आए तो सबने एक दूसरे से जरूर पूछा की क्या आज अमावस्या है? और आज हमारा अपना यान भारत के करोड़ों लोगों की शुभकामनाओं के साथ लाखों बच्चों के मामा के पास जा रहा है...
आइये अपनी शुभकामनाएं प्रेषित करें उन चुनिन्दा वैज्ञानिकों को जिनके अथक प्रयास से ये उपलब्धि सम्भव हो पाई है..
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