Saturday, November 29, 2008

बैठे दिल्ली में नपुंसक साले....

बात शुरू करने से पहले मेरा नमन उन वीरों को जिन्होंने अपनी जान की परवाह किए बिना देश को आतंकियों के एक सफल प्रयास को समय की सीमाओं में बाँधने में देश की मदद की।

मैंने सफल शब्द का उपयोग इसलिए किया क्यूंकि आतंकियों की असफलता केवल एक है की वो 5000 का सोच के आए थे और ३०० से संतोष करना पड़ा। इसके अलावा हर एक मुकाम पर वो सफल ही कहे जायेंगे। आखिरकार बहुत आसानी से उन्होंने हम सबको हमारी सुरक्षा व्यवस्था की औकात दिखा दी. अभी अभी नई ख़बर आना शुरू हुई है की लगभग सभी सुरक्षा समितियों को बहुत हद तक इस हमले की सटीक ख़बर दी जा चुकी थी पर उसके बाद भी हम किसी भी मुकाम पर आतंकियों को नही रोक पाये, इसके लिए हम सभी वाकई बधाई के पात्र हैं।

ब्लॉग जगत पर पिछले ३ दिन में हजारों पंक्तियाँ ,कवितायें और विचार वैसे भी दिए ही जा चुके हैं। हमको इसके अलावा आता ही क्या है। बस भाषण दिलवा दीजिये की अब हम चुप नही बैठेंगे, हमको आगे बढ़ना होगा, उनको जवाब देना होगा, हम दुनिया को दिखा देंगे, हमको मत ललकारो। बस यहाँ लिखा, और जाके रजाई ओढ़ के सो गए। हो गया अपना काम। अभी भी पता नही किस ललकार की जरूरत है समझ नई आता और ललकार मिल भी गई तो उनको दिखाने के लिए हमारे पास कौन सा तरीका है ये भी पल्ले नही पड़ता॥

कुछ लोगों ने अलबत्ता बहुत अच्छा लिखा। समय हो तो शमा जी का लेख यहाँ से जरूर पढिये।

पूरे ३ दिन देश ने न केवल पूरी आतंकी घटना का सीधा प्रसारण देखा बल्कि साथ साथ हमारे - - - - नेताओं की आपस की भों भों भी। - - - की जगह जिसे जो बुरा से बुरा आता हो भरने के लिए स्वतंत्र है क्यूंकि ये जात ही ऐसी है। किसी को शर्म नही आई। ये केवन इन नपुंसकों की वोट की राजनीति का ही नतीजा है कि कभी दलगत राजनीति से ऊपर उठ कर कुछ कर ही नही सकते। काश ये सब निर्दोषों के ऊपर होने से अच्छा इन अकर्मण्य नेताओं के ऊपर हुआ होता तो कुछ तसल्ली जरूर होती कि शायद अब कुछ बदलाव आए। पर इनको क्या है, मरने वाले मरते रहेंगे। शर्मनाक बात ये कि जब ख़ुद इनकी सुरक्षा की बात आती है तो जिस पुलिस के भरोसे पूरा देश छोड़ा हुआ है, उस पर ख़ुद इन बेशर्मों को ही भरोसा नही होता।

किसी ब्लॉग में एक कविता पढ़ी थी।

वो निहत्थों पे वार करते हैं.
रोज़ ताज़ा शिकार करते हैं.

बैठे दिल्ली में नपुंसक साले,
देश को शर्मशार करते हैं.


पूरी ग़ज़ल यहाँ से पढ़ें -

अब बात निकली है तो दूर तलक जायेगी ही। कोशिश करूँगा अपना गुस्सा यहाँ जल्दी जल्दी निकालता रहूँ... आपके कमेंट्स का इन्तजार रहेगा..