ऑफिस के काम से कुछ चार महीने पहले अचानक चंडीगढ़ जाने का आदेश मिला। तब ये अंदाजा नही था कि ये भ्रमण चार महीने तक खिच जाएगा। खैर जो भी हुआ अच्छा हुआ। इसी बहाने ये ब्लॉग लिखने और ऐसे अद्वितीय शहर को घूमने का मौका मिला। चलिए तो बात करते हैं चंडीगढ़ के इतिहास से-

चंडीगढ़ भारत के उन चुनिंदा शहरों में से एक है जिनको आज़ादी के बाद एक तयशुदा डिजाइन के तहत बसाया गया है। आज़ादी के बाद पंजाब प्रान्त भारत और पाकिस्तान के बीच विभाजित हो गया। उसके पहले पंजाब की राजधानी लाहौर हुआ करती थी। विभाजन के बाद लाहौर पाकिस्तान का हिस्सा हो गया। तब ये चर्चा शुरू हुई की पंजाब के किस शहर को यहाँ की राजधानी बनाया जाए । बहुत जद्दोजहद के बाद भी किसी एक शहर पर पूर्ण सहमति नही बन पाई। तभी एक विचार प्रमुखता से पंडित नेहरू के सामने लाया गया की क्यों न एक नया शहर बसाया जाए। एक ऐसा शहर जो पूरी तरह से नए भारत की पहचान हो। और इस तरह नींव पड़ी चंडीगढ़ की। जगह चुनी गई हिमालय के प्रथम सोपान हिमांचल प्रदेश और मैदानी क्षेत्र के आखिरी पड़ाव के बीच की। और नाम चुना गया चंडी माता के ऊपर - चंडीगढ़ - अर्थात चंडी माता का गढ़ (किला). पूरा प्लान बनने के लिए बुलाया गया अमेरिका के प्रसिद्ध वास्तुकार अल्बर्ट मयेर को। उनके बाद काम संभाला आज के चंडीगढ़ के डिजायनर के नाम से पहचाने जाने वाले लुई कर्बुजिये ने। इन दोनों ने बहुत मेहनत और सभी पहलुओं को ध्यान में रख के चंडीगढ़ की डिजाइन तैयार की। और इस तरह ये भव्य शहर बन के तैयार हुआ॥
आज चंडीगढ़ पंजाब और हरियाणा प्रदेश की राजधानी होने के साथ साथ एक केन्द्र शाषित प्रदेश भी है। चंडीगढ़ पहुँचने पर जो पहली बात आपके मन में आएगी वो ये की भाई वाह, क्या सड़कें हैं, क्या पार्किंग है और क्या

एक बार बस आप आ जाइये उसके बाद ख़ुद ही यहाँ की खूबसूरती में ऐसे खो जायेंगे की क्या कहा जाए। अरे हाँ, एक बात और। जो यहाँ आके आप जरूर मानेंगे। और वो है यहाँ के लोगों की खूबसूरती। जितने दिल से जिंदादिल उतने ही दिखने में सुंदर। हमारे साथ हमारे एक मित्र भी आए थे और वो भी सुदूर दक्षिण यानि केरल से। उनके मुंह से जो पहली बात निकली वो ये की "यार ये लोग अपनी लड़कियों को खिलाते क्या हैं?"। अब आप समझ ही गए होंगे की इस शहर की बात ही कुछ ख़ास है। तो अब देर कैसी। बस बना ही डालिए प्लान ऐसी खूबसूरत जगह को घूमने का। चंडीगढ़ में बहुत सी जगह घूमने के लिए हैं। जैसे रॉक गार्डन, रोज़ गार्डन, सुखना लेक, म्यूजियम, सेक्टर १७ का मार्केट, चंडी माता का मन्दिर, पिन्जोर गार्डन, मंशा देवी का मन्दिर। इनके बारे में अगली पोस्ट में लिखूंगा। अभी के लिए इतना ही.
16 comments:
जनाब, कंप्यूटर इंजीनियर, और चार महीने के लिए चंडीगढ़ में? मैं भी चंडीगढ़ में ही हूँ, अगर आप अब भी यहीं हैं तो मुलाकात हो सकती है।
आलोक
चलो भैया, आखिरकार ब्लॉग बना के लिखना तो शुरु किए!!
शुभकामनाएं बंधु!
आप ने तो लालच जगा दिया मन में अब प्लान बनाते है चढीगढ़ का…धन्यवाद
Ye dhandha bhi achha saath me ek travel agency khol le. Waise ek baat ki daad deni pade gi jaha jata hai waha ko ho jata hai aur jisase milta hai usi me kho jata hai hahahahhahaha dil ko kabu me rakho bhautik se dhayan hata ke aloukik ki aor jao.
शुभकामनाएं बंधु!
स्वागत है एवं नियमित लेखन के लिए शुभकामनाऐं.
अंतरतम के अखिल-विश्व का
स्वागत और शुभकामनाएँ.
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KEEP YOUR SINCERITY INTACT.
ALL THE BEST.
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DR.CHANDRAKUMAR JAIN
स्वागत है ब्लाग जगत में........
लगता है व्यस्त हो गये हो कोड्स लिखने में। मुझे लगा कि चंडीगढ़ के बाद शिमला का नम्बर आएगा। वहाँ के बारे में भी लिखोगे... हमने तो वो भी नहीं देखा...
निरंतर लेखन के लिए शुभकामनाएं।
बहुत लम्बे इन्तेज़ार के बाद आखिर आपने ब्लोग पर काम शुरू कर ही दिया
आशा है की आगे आप इसे नियमित रखेगे
हार्दिक बधाई मेरी तरफ से
अगली बार चंडीगढ़ जाना तो मुझे भे ले चलना भईया.. :D
स्वागत है भाई
कुछ दिल वालो की दिल्ली के बारे मैं अंतरतम मैं भी स्थान
निकाल दीजिये , हमने अभी दिल्ली को भी नहीं देखा......
अंकुर भईया अभी हम दोनो साथ-साथ भईया को पकडते हैं, दिल्ली देखने के लिये, लेकिन ब्लाग पर नही सच्ची का। :D
abhi tak chandigarh mein hi atke ho kya bhai? kisi aur jagah ke bhi darshan karwao ab to..
Mujhe Chandighadh jaane ka mauka lagbhag 4 saal pahle mila tha....
Sahi kehte ho bhi...
Kamaal ki jagah hae!!!
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